रेलवे ट्रैक के दोनों तरफ की जमीन कई मीटर तक एकदम खाली छोड़ी जाती है | वहाँ किसी तरह का कोई निर्माण कार्य नहीं हो सकता |
लिहाजा वहां जंगली झाड़-झंखाड़ उग आता है | ऐसी झाड़ियाँ जिनका कोई भी हिस्सा उपयोगी नहीं होता | उसकी पत्तियाँ तक जानवरों के चरने के काम नहीं आती हैं |
यदि उस भूमि को साफ़ करके वहाँ वृक्षारोपण कर दिया जाए और वृक्षों का चुनाव करते समय कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो एक साथ कई समस्याओं का निराकरण हो सकता है | यथा-
लिहाजा वहां जंगली झाड़-झंखाड़ उग आता है | ऐसी झाड़ियाँ जिनका कोई भी हिस्सा उपयोगी नहीं होता | उसकी पत्तियाँ तक जानवरों के चरने के काम नहीं आती हैं |
यदि उस भूमि को साफ़ करके वहाँ वृक्षारोपण कर दिया जाए और वृक्षों का चुनाव करते समय कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो एक साथ कई समस्याओं का निराकरण हो सकता है | यथा-
- वृक्षों की ऐसी प्रजातियाँ लगायी जाएं जो समय के साथ बढ़ते-बढ़ते बहुत ही लम्बे और घने हो जाते हैं जिससे वो वर्षा के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होंगे | यथा- बरगद, नीम, गूलर, पीपल, इमली, ढाक, देशी आम ...... इत्यादि |
- वृक्षों का चुनाव करते समय इस बात का भी ध्यान रखा जाए कि वो अधिक से अधिक जहरीली गैसों को अवशोषित कर ज्यादा से ज्यादा ऑक्सीजन देने वाले हों | जैसे- पीपल, जो कि चौबीसों घंटे सतत ऑक्सीजन देता है |
- वृक्षों की पत्तियाँ पशुओं के चारे के काम आ सकें | जैसे- इमली, ढाक, नीम, देशी आम, महुआ, पीपल .......|
- वृक्ष फलदार हों जिससे मनुष्यों के साथ-साथ बन्दर जैसे पशुओं को अपने आहार के लिए गाँव, कस्बों या शहर की कालोनियों में न जाना पड़े | साथ ही पक्षियों की संख्या जो कि घटते-घटते बहुत कम हो गयी है, उचित आहार प्राप्त कर सकें | जैसे- आम, गूलर, इमली, बेर, अमरुद, महुआ, कटहल, बड़हल, फरेंदे, फालसे, बेल, आंवला, सहजन, अनार, शहतूत |
- कुछ ऐसे वृक्ष भी लगाए जा सकते हैं जिससे इमारती लकड़ी प्राप्त होती है यथा- सागौन, चीड़, देवदार, देशी आम, केल, नीम इत्यादि |