Friday, August 5, 2016

नदियों के किनारे वृक्षारोपण

नदियों के दोनों किनारों पर काफी दूर तक कोई भी मकान नहीं बनाता | न तो खेती की जाती है | उस भूमि को खाली छोड़ दिया जाता है ताकि वर्षा ऋतु में नदियों में जलस्तर बढ़ने या बाढ़ की स्थिति में कोई नुकसान न हो |

उस भूमि पर यदि वृक्षारोपण किया जाए तो किसी भी प्रकार का कोई नुकसान नहीं होगा | बल्कि हर प्रकार से लाभ ही होगा | वृक्षों की बहुत ज्यादा समय तक देखभाल नहीं करनी पड़ेगी | नदी से बहुत पास होने के कारण जल्द ही वृक्षों की जड़ें पानी तक पहुँच जायेंगी |

वृक्ष इस प्रकार से लगाए जाएं कि उनका अधिक से अधिक हिस्सा उपयोगी हो | वृक्ष फलदार हों | समय के साथ लम्बे व घने हो सकें | आजकल ऐसे वृक्षों की भरमार है जो महज कुछ फिट ही बढ़ते हैं | जरा भी घने नहीं होते | उन पर फल नहीं लगते तथा उनका कोई भी हिस्सा उपयोगी नहीं होता | यहाँ तक कि उनकी पत्तियाँ तक पशुओं के चारे के काम नहीं आतीं | वृक्षारोपण के नाम पर हो रहे इस खिलवाड़ से कोई लाभ नहीं है |

अतः नदियों के किनारे की खाली भूमि पर योजनाबद्ध तरीके से वृक्ष लगाए जायें | वृक्ष बहुतायत में लगाए जायें | वृक्ष फलदार हों जिससे भुखमरी की समस्या को दूर करने में सहायता मिले | वृक्ष विविधतापूर्ण हों तथा उस स्थान विशेष की जलवायु के अनुरूप हों | साथ ही वहाँ की मिट्टी में सहजता से उग सकें |