Saturday, August 6, 2016

वर्तमान शिक्षा व्यवस्था

आप शिक्षित हैं ? आपने स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली है ? यदि आपका उत्तर है “ हाँ “ तो जरा इन प्रश्नों पर गंभीरता से विचार कर स्वयं को उत्तर दीजिए |
  1. आपकी अब तक पूरी की गयी शिक्षा आपके जीवन में किस रूप में उपयोगी सिद्ध हो रही है? कितनी उपयोगी हो रही है?
  2. आपको पढ़ाए गए कितने विषय ऐसे हैं जिनका आपके जीवन में वर्तमान या भविष्य में उपयोग है?
  3. कितने विषय ऐसे हैं जिनको पढ़ने का एक मात्र उद्देश्य था परीक्षा में प्रश्नों का उत्तर लिखना?
  4. क्या आपको शिक्षा व्यवस्था में किसी प्रकार के परिवर्तन की आवश्यकता लगती है? यदि “हाँ” तो कैसे परिवर्तन?
हमारे नज़रिये में तो शिक्षा व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन की आवश्यकता है | एक व्यक्ति का पूरा प्रारंभिक जीवन (3 वर्ष से 25 वर्ष तक) मात्र शिक्षा ग्रहण करने में बीत जाता है | बच्चे के रूप में खेल-कूदकर विकसित होने का समय भारी बस्ता लादकर स्कूल जाने में निकल जाता है |


जो भी बातें किताबों में पढ़ाई जाती हैं उनका लोगों के जीवन में कोई प्रयोग नहीं होता | आठवीं कक्षा तक में बच्चों को विश्व का भूगोल पढ़ा दिया जाता है – जायरे का वनक्षेत्र, ग्रीनलैंड का जीवन, अमेरिका की कृषि आदि ऐसी ऐसी चीजें बतायी जाती हैं जिनका उपयोग व्यक्ति के पूरे जीवन में कहीं नहीं होता | इतिहास में हड़प्पा संस्कृति से लेकर आज तक का पूरा विवरण रटा दिया जाता है जिसका व्यक्ति के जीवन से कोई लेना देना तक नहीं होता | इस शिक्षा को बनाए रखने के लिए सिर्फ एक तर्क दे दिया जाता है कि ज्ञान से बढ़कर जीवन में कुछ नहीं, ज्ञान तो जितना अधिक एकत्र किया जा सके, उतना अच्छा है |


पर क्या इतने अधिक ज्ञान से कोई लाभ हो रहा है ? क्या इतना ज्ञान लोगों को खुशहाली दे पा रहा है ? क्या इतने वर्षों तक इतना ज्ञान एकत्र करने के बाद भी व्यक्ति जीवन संघर्ष करने योग्य बन पाता है ?

आप ही विचार करिए कि क्या लाभ है ऐसी शिक्षा का जो व्यक्ति को जीवन में संघर्ष करना न सिखा सके | ऐसा ज्ञान किस काम का जो व्यक्ति को जीवन जीने का एक बेहतरीन तरीका न सिखा सके |

इस लेख के अंतर्गत उठाये गए प्रश्नों पर आप स्वयं विचार करें |